पौराणिक कथा के अनुसार अधिक मास को लोग मलमास कहने लगे. मलमास कहने से वे नाराज हो गए और अपनी पीड़ा को भगवान विष्णु के सम्मुख रखा. अधिकमास का कोई स्वामी नहीं होता है. स्वामी न होने से अधिक मास को मलमास कहा जाने लगा. इससे वे बहुत दुखी हुए. जब अधिक मास ने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को सुनाई तो उन्होने मलमास को वरदान दिया कि अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं. वरदान देने के साथ साथ भगवान विष्णु ने अधिक मास को अपना नाम भी दिया. पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही नाम है इसीलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. भगवान विष्णु ने कहा जो भी व्यक्ति अधिक मास में मेरी पूजा, उपासना और आराधना करेगा उसे वे प्रसन्न होकर अपना आर्शीवाद प्रदान करेंगे और सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे.
अधिक मास कब से शुरू होगा
पंचांग के अनुसार आश्विन मास में श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर 2020 को समाप्त हो रहे हैं और अधिक मास 18 सितंबर से शुरु हो रहा है. अधिक मास का समापन 16 अक्टूबर 2020 को होगा.
अधिक मास में बन रहा है विशेष संयोग
अधिक मास में इस बार विशेष संयोग भी बना रहा है. यह विशेष संयोग 160 साल बाद बन रहा है. इसके बाद 2039 में भी ऐसा संयोग बनेगा. इस साल संयोग के चलते ही लीप ईयर और आश्विन अधिक मास दोनों एक साथ पड़ रहे हैं. सौर वर्ष सूर्य की गति पर निर्भर करता है. चंद्र वर्ष की गणना चंद्रमा की चाल की जाती है. एक सौर वर्ष 365 दिन 6 घंटे होते हैं. जबकि एक चंद्र वर्ष में 354.36 दिन होते हैं. हर तीन साल बाद चंद्रमा के ये दिन एक माह के बराबर हो जाते हैं. ज्योतिष गणना को सही बनाए रखने के लिए ही तीन साल बाद चंद्रमास में एक अतिरिक्त माह जोड़ दिया जाता है. इसे ही अधिक मास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है.
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